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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६५९

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१०५६
भारत में अंगरेज़ी राज

१०५६ भारत में अंगरेजी राज "हमारी हिन्दोस्तानी सेना की वफादारी पर हमारा अस्तित्व निर्भर है, और यह वफादारी हमारी लगातार विजयों पर निर्भर है।xxx ___ "वरमियों ने हमारे साथ युद्ध के शुरू ही में वह कर दिखाया जिसको शायद हमें विलकुल पाशा न थी। पहली विजय का लाभ उनको हुआ और पहली पराजय की आपत्ति हमारी ओर रही, सम्भव है कि इससे xx x संसार की किसी भी दूसरी शक्ति के लिए इतने बुरे नतीजे पैदा न होते जितने हमारे लिए हो सकते हैं। xxx "xxx शत्रु की विजय मे ढाका में और कलकत्ते तक में वह तहलका मच गया है जो सिराजुद्दौला और ग्लैक होल के समय से लेकर अाज तक न हुआ था। "xxx मालूम होता है कि हमारे शत्रु न संख्या में कम है और न वीरता में; x x x हमारा समस्त भारतीय साम्राज्य अब सचमुच्च खतरे में है। हमारी हार की खबर जङ्गल की आग की तरह फैल जाती है और फ़ौरन् उससे उन करोड़ों मनुष्यों की प्राशाएँ और कल्पनाएँ जाग उठती हैं जिन्हें हमने पराधीन कर रक्खा हैx x x इस आपत्ति से बचने के लिए और उसे अधिक फैलने और अधिक हानि पहुँचाने से रोकने के लिए हमें अपनी परी शक्ति लगा देनी चाहिए।"* • "All India is at all times looking out for our downfall The people everywhere would rejoice, at our destruction, and numbers are not wanting who would promote it by all means in their power Our ruin,af it be ever commenced, will probably be rapid and sudden . . . From the pinnacle to the abyss might be but one step.