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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६७२

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भारत में अंगरेज़ी राज

२०६८ भारत में अंगरेजी राज और उसके साथी यानी करीब श्राधा भरतपुर इस समय विदेशियों की विजय में सहायक था। हाथरस के किले से अंगरेजों को भरतपुर के किले की रचना का भो काफ़ी पता चल चुका था। फिर भी सवा महीने तक भरतपुर का मुहासरा जारी रहा। सवा महीने के मुहासरे के बाद १८ जनवरी सन् १८२६ को भरतपुर का ऐतिहासिक किला एक बार अंगरेजी सेना के हाथों में श्रा गया। इतिहास लेखक करनल मालेसन अपनी पुस्तक "डिसाइसिव बैटल्स ऑफ़ इण्डिया" में लिखता है कि भरतपुर की इस लड़ाई में अंगरेजों के १०५० श्रादमी मरे और जख्मो हुए, जिसमें सात अफ़सर मरे और ४१ अफ़सर घायल हुए। कग्नल स्किनर लिखता है कि भरतपुर के किले को विजय ___ करने में अंगरेजों ने जिस तरह की सुरङ्गों से रिश्वतास भरतपुर काम लिया उस तरह की सुरड़े लगाना उन्होंने मराठों से सीखा था। एक दूसरा अंगरेज़ चेल्स लिखता है कि उन दिनों भारतवामियों में यह अफ़वाह गरम थी कि अंगरेजों ने भरतपुर का किला भीतर की सेना के कुछ लोगों को ग्शिवते देकर धन के बल विजय किया ।* भरतपुर के इस संग्राम के औचित्य के विषय में मेटकॉफ़ स्वीकार करता है कि अंगरेजों को भरतपुर की गद्दी के मामले में विजय • "Even alter it was taken, no native would believe it was captured by storm, and to the last hour of my residence in India, they persisted in asserting that it was bought, not conquered "--Welsh's Military Remans- cences, vol 1, pp 240,241