लॉर्ड विलियम बेण्टिक १०८६३ इतिहास लेखक स्वीकार करते हैं कि कुर्ग युद्ध से विजय नहीं किया गया । कग्नल फ्रेजर ने इस एलान में कम्पनी सरकार की ओर से कुर्गनिवासियों के साथ साफ़ झूठा वादा किया कि कुर्ग के इलाके के अन्दर कभी भी पशु बध न किया जायगा । कुर्ग के देशी राजाओं के अधीन ज़मीन का लगान पैदावार के रूप में वसूल किया जाता था । एलान में वादा किया गया कि यह रिवाज न तोड़ा जायगा। किन्तु थोड़े ही दिनों बाद लगान नकदी की सूरत में वसूल किया जाने लगा। दुखित प्रजा ने लाचार होकर नए विदेशी शासकों के विरुद्ध विद्रोह किया । इस विद्रोह को बड़ी निर्दयता के साथ कुचल डाला गया। पदच्युत राजा के साथ बाद में इतना बुरा व्यवहार किया गया कि उसे अपनी शिकायतों के दूर करने के राजा के साथ | लिए सन् १८५२ में इंगलिस्तान जाना पड़ा। 3 इंगलिस्तान में उसकी इकलौती बेटी बहका कर ईसाई बना ली गई और एक अंगरेज़ के साथ ब्याह दी गई । अंगरेज कौम ने गजा की शिकायतों की ओर कुछ भी ध्यान न दिया। कुर्ग पर कब्ज़ा करते ही अंगरेज अफसरों ने उस देश को जी भर कर लूटा, यहाँ तक कि लूट का कुछ हिसाब लूट का बटवारा न था। यह लूट का धन सेना के अंगरेज़ अफ़सरों में बाज़ाब्ता बाँटा गया। सेनापति लिण्डस को कुल रकम का सोलहवां हिस्सा मिला। शेष अफसरों को इस प्रकार रकमें बांटी गई-
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