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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६९३

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिक १०४ की “इण्डियन एक्ज़ॉमिनर एण्ड यूनिवर्सल रिव्यु” नामक पत्रिका में प्रकाशित किया था। सम्राट अकबरशाह का जो अपमान लॉर्ड ऐमहर्ट ने किया था उसकी शिकायत के लिए राजा राममोहन राय दखा सम्राट के विलायत भेजे जाने का वर्णन पिछले अन्याय में आ चुका है। लॉर्ड बेण्टिङ्क ने दिल्ली के रेज़िडेण्ट द्वारा सम्राट अकबरशाह पर जोर दिया कि राजा राममोहन राय को शाही दूत के पद से बरखास्त कर दिया जाय । सम्राट ने स्वीकार न किया, फिर भी राजा राममोहन राय को इङ्गलिस्तान में कौन सुन सकता था। देहली सम्राट की ओर बेण्टिङ्क का समस्त व्यवहार अपमान जनक रहा। सींधिया कुल की गद्दी पर उस समय एक बालक जङ्कोजी सींधिया विराजमान था। रियासत के अन्दर ग्वालियर अंगरेजों ने अपनी साजिशों से अनेक तरह के उपद्रव खड़े करवा रक्खे थे। इस रियासत की ओर बेण्टिक की नियत और प्रयत्नों के विषय में एक अंगरेज़ लेखक जॉन होप लिखता है:- .. “किन्तु यदि अपनी राजधानी के अन्दर महाराजा जको सौंधिया को इन भापतियों ने घेर रखा था तो बाहर भी कलकत्ते को अंगरेज़ कौन्सिल से उसे कुछ कम आपसि की माशङ्का न थी । कलकत्ते में इस बात का पता बगाने के लिए गुस सलाहें हो रही थीं कि इस निर्बल, किन्तु अत्यन्त