पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६९७

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

इन्दौर लॉर्ड विलियम बेण्टिक २०६३ सन् १८३५ में झाँसी के राजा की मृत्यु हुई । राजा ने एक पुत्र गोद ले रक्खा था। फिर भी लॉर्ड बेण्टिक ने बिना किसो सरह की तहकीकात या किसी तरह के अधिकार के युवराज के विरुद्ध पिछले राजा के एक चचा रघुनाथराव का पक्ष लेकर उस गद्दी पर बैठा दिया। उसी समय से झाँसी में कम्पनी की साजिशें शुरू हो गई। इसी तरह सन् १८३४ में इन्दौर के महाराजा मलहरराव होलकर की मृत्यु हुई । मलहरराव के एक दत्तक पुत्र मौजूद था। फिर भी दो हकदार और खड़े होगए । बेण्टिक ने दत्तक पुत्र के विरुद्ध इन दोनों में से किसी एक से सौदा करना चाहा। दुर्भाग्यवश सौदा न हो सका । बेण्टिक के पत्रों से ज़ाहिर है कि वह अन्त समय तक यह न तय कर पाया कि कम्पनी का अधिक हित किस का पक्ष लेने में है । अन्त में लॉर्ड विलियम बेण्टिक को इच्छा और गुप्त प्रयत्नों के विरुद्ध दत्तक पुत्र ही उस समय गद्दी पर बैठा । इस पर बेण्टिङ्क ने इन्दौर के रेज़िडेण्ट को नए राजा के राजतिलक के समय दरबार में जाने तक की मनाही कर दी। लॉर्ड विलियम बेण्टिक के कार्यों में शायद सबसे महत्वपूर्ण कार्य सिन्धु नदी में जहाज़ और सेना भेज कर सन्ध आर पार उसके जल इत्यादि की थाह लेना था। उद्देश यह था कि भविष्य में सिन्धु नदी से सेना ले जाने इत्यादि की कठिनाइयों और सम्भावनाओं का पहले से पता लगा लिया जाय,