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भारत में अंगरेज़ी राज

२०६४ भारत में अंगरेजी राज क्योंकि अरसे से सिन्ध, पञ्जाब और अफगानिस्तान तीनों पर कम्पनी की नज़र गड़ चुकी थी। सर जॉन मैलकम ने एक पत्र भारत सरकार और इङ्गलिस्तान के डाइरेक्टरों के सामने पेश किया, जिसमें उसने दिखलाया कि हैदराबाद और सिन्धु नदी दोनों पर अंगरेज सरकार का कब्ज़ा होना कितने अधिक महत्व का है । इस पर सबसे पहले इस बात की आवश्यकता अनुभव की गई कि सिन्धु नदी की थाह ली जाय और जहाज़ों के श्राने जाने के लिए नदी की उपयोगिता का ठीक ठीक पता लगा लिया जाय। पंजाब और अफगानिस्तान पर हमला करने में भी इस नदी का उपयोग किया जा सकता था। किन्तु सिन्ध एक स्वाधीन देश था। सिन्ध के अमीर अंगरेजों को इस प्रकार अपने देश में क्यों घुसने देते। इसलिए एक बाज़ाब्ता कपट प्रबन्ध रचा गया। कहा गया कि इंगलिस्तान के बादशाह विलियम चतुर्थ की ओर से पंजाब के महाराजा रणजीतसिंह के पास उपहार स्वरूप एक घोड़ा गाड़ी भेजनी है जिसं केवल जलमार्ग से ही पंजाब पहुँचाया जा सकता है । इतिहास लेखक प्रिन्सेप लिखता है कि- "तय किया गया कि इस उपहार को भेजने के बहाने सिन्धु नदी की सब बातों और उस नदी द्वारा यात्रा की सुविधाओं और असुविधाओं का पता लगाया जाय ।" कम्पनी के डाइरेक्टरों ने • "It was resolved to make the transmission of this present, a means of obtaining information in regard to the Indus, and the facilities, or the contrary it might offer to navigation "-Origin of the Sukh Prver in the Punjab and Pohtical Life of Maharaja Ranjit Singh, chapter x