सन् १८३३ का चारटर एक्ट ११०७ "x x x पिछले १४ वर्ष के अन्दर भारत के सालाना बजट में लगा तार घाटा ही घाटा पड़ता रहा है। "सन् १८३३ में सेना विभाग का खर्च करीब अस्सी लाख पाउण्ड अर्थात् भारत सरकार का कुल आमदनी का ४६ फ्री सदी था । xxx अब भारत के सेना विभाग का खर्च एक करोड़ बीस लाख पाउण्ड से अधिक और कुल आमदनी का ५६ फ्रीसदी हैxxx। “तीसरी कसौटी–देश की भौतिक उन्नति । "x x x भारत सरकार का करज़ा बढ़ता जा रहा है x x x सड़के, पुल, नहरें इत्यादि सार्वजनिक हित के कामों पर सरकार पाँच लाख पाउण्ड सालाना से कम अर्थात् अपनी दो करोड़ दस लाख पाउण्ड सालाना से अधिक की भांमदनी में सं,xxx कुल श्रामदनी का सवा दोनो सदी खर्च करती है। "इस रक्रम में से भी, जो कहने के लिए सार्वजनिक कामों में खर्च होती है, एक हिस्सा गोरे सिपाहियों के लिए उन बारगों पर खर्च होता है, जो सिर्फ सेना के लिए बनती हैं, और इस रकम में से कभी कभी ७० फ्रीसदी तक केवल देख भाल करने वालों की तनख्वाहों आदिक पर खर्च हो जाता है। "चौथी कसौटी-साधारण प्रजा की अवस्था । [ इस स्थान पर पत्रिका के लेखक ने सरकारी रिपोर्टों से यह दिखलाया है कि यद्यपि लगान वसूल करने के लिए बङ्गाल में ज़मींदारी पद्धति थी, मद्रास में रय्यतवाड़ी और बम्बई प्रान्त में मिश्रित पद्धति, फिर भी तीनों
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