पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४९४
भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरेजी राज मृत्यु के २४ साल बाद उसकी याद में उसके किसी देशवा ने एक मरसीया लिखा। इस मर्मस्पर्शी मरतीये के प्रत्येक के अन्त में एक अनुपद पाता है, जिसका अक्षरशः अनुव "महाह ! इस तरह मर जाना पड़ा है, "जब कि युद्ध के बादल हमारे सरों पर खून परसा रहे हों, "बजाय इसके कर्मक की जिन्दगी बसर की जावे, "और सम्ताप और मजा के साथ उन्न काटी जावे।" . NA of