पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/११०

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पुस्तक प्रवेश

२ पुस्तक प्रदेश "इनमें से एक बहुत बडा अधिकांश भाग ऐसे लोगों का है, जिन्होंने अपनी स्वतन्त्र इच्छा से इसलाम मत स्वीकार किया। एक दूसरा इतिहास लेखक टाउन्सेण्ड लिखता है- "इस मत के यहाँ पर फैलने का खास सबब ज़बरदस्ती नहीं है।" एक दूसरे स्थान पर यही लेखक भारतीय मुसलमानों के विषय में लिखता है- "इन तमाम मुसलमानों मे से १० फ़ीसदी में भारतीय रक्त है, वे इस देश के वैसे ही बच्चे हैं जैसे हिन्दू । उनमे बहुत से पुराने हिन्दू अन्धविश्वास भी अभी तक मौजूद हैं । वे केवल इस लिए मुसलमान है, क्योंकि उनके पूर्वजों ने अरब के उस महा- पुरुष का मत स्वीकार किया था।" और आगे चल कर यही विद्वान लिखता है कि भारत मे मुसलमानों का राज कायम हो जाने के बाद भी प्रजा को ज़बरदस्ती मुसलमान करना अधिकांश नए मुसलमान शासकों के स्वार्थ और उनकी रुचि दोनों के विरुद्ध था। वह लिखता है- . “Byfar the majority of them entered the pale of Islan of their own free will"- The Preaching of Islam, hy T W Arnold, 1913, 2 255 - "Its spread as a faith is not due maulv to compulsion "-Asra and Europe, London, 1911 byTownsend, P 44 + Ninety per cent of the liole body of the Muslims are Indians by blood, as much children of the soil as the Hindoos, retaining many of the old pagan superstitions, and on:- Mussalmans because their ancestors em- braced the tasth of the Great Arabian "--lbid, p. 43