पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/११९

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जिज्ञासु अरब

जिज्ञासु अरब अपने दुखित देशवासियों को फिर से शान्ति, प्रेम और आशा का सन्देश सुनाया। इसलाम का प्रभाव शुरू से लेकर ईमा की पाठवी सदी तक भारत में जितने धार्मिक और सामाजिक सुधार के आन्दोलनों ने जन्म लिया, वे प्रायः सब उत्तर ही से शुरू हुए । किन्तु पाठवीं सदी के समय में यह एक नई बात देखने में पानी है कि इस तरह के अान्दोलनों को जन्म देने का श्रेय उभर के स्थान पर अब दक्खिन को मिलने लगा ! आठवीं से पन्द्रहवीं सदी तक दक्खिन भारत का यह बडच्पन कायम रहा। शङ्कर, रामानुज, निम्बादित्य वासव, वल्लभाचार्य और माधव सब दक्खिन के रहने वाले थे । इसका एक सबब निस्सन्देह यह था कि उन दिनों अधिकांश मुसलमान सन्त, सूती और क्षावेश दक्खिन और पच्छिम मे ही जाकर बसते थे। इन भारतीय प्राचार्यों के उपदेशों और सिद्धान्तों पर इसलाम की साफ छाप दिखाई देती है। एक विद्वान इतिहास लिखता है-- ____ "इसलाम के अनुयाइयों की उपस्थिनि ने जाति भेद, आत्मिक जीवन और ईश्वर के अस्तित्त्व इत्यादि विषयों पर लोगों को विचार करने के लिए उत्तेजित किया ।" इतिहास लेखक बार्थ लिखता है~~ ___"अफग़ानों, तुरकों या उनके सहधर्मी मुग़ल विजेताओं _* " The Tresence of the followers of Islam stimulated thought ot suci subjects as caste, spiritual birth and the personality of God."-Kabsr and Kabir Panth, by HG Westcort, London, 1907,2 45.