पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१२४

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश क्षित छोड दिया, कुछ मन्दिरों को लूटा, और कहा जाता है सोमनाथ पर हमला करके वहाँ की मूर्ति को तोड़ा और लूट का बहुत सा माल लेकर ग़जनी वापस चला गया। सोमनाथ पर महमूद ग़ज़नवी के हमले की सच्चाई के विषय में भी प्रामाणिक इतिहासज्ञों मे ज़बरदरत मतभेद है। महमूद के चरित्र के अनेक गुणों की भी अनेक इतिहास लेखक मुक्त-कण्ठ से प्रशंसा करते हैं।" किन्तु यह सब बहस हमारे प्रसंग से बाहर है। इसमें सन्देह नहीं कि महमूद की सेना मे हजारों सिपाहीहिन्दु थे, उसका एक प्रसिद्ध सेनापति हिन्दू था, जिसका नाम तिलक था और जिसने एक बार महमूद के एक मुसलमान सेनापति के विद्रोह को दमन किया था । जो कुछ भी हो महमूद के हमलों का कोई स्थायी असर भारत पर न रह सकता था। महमूद के हमलों का मूल्य ज़्यादा से ज़्यादा एक धन लोलुप आक्रामक के हमलों से अधिक नहीं कहा जा सकना । इस देश पर उसका प्रभाव भी क्षणभङ्गुर था । मोहम्मद गोरी सौ साल बाद तुरकों ने अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोरी राजकुल को दबाना और खदेड़ना शुरू किया, जिसके फलस्वरूप मोहम्मद ग़ोरी को भारत पर हमला करने के लिए करीब करीब विवश होना पड़ा । मोहम्मद ग़ोरी के समय से पञ्जाब पर भी मुसलमानों का शासन जम गया । मोहम्मद ग़ोरी के भारत आने के समय तक भारत की राजनैतिक अव्यवस्था हद को पहुँच गई थी। तेरहवीं सदी तक उत्तर भारत पर मुसलमानों का राज जम गया ।

  • Medieval Hindu India, by cV Vaidya vol ll, p 104 and

History of Medseval India, by Ishwari Prashad, p 91