पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१२५

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मुसलमानों का यहाँ बस जाना

मुसलमानों का यहाँ बस जाना राजपूत नरेशों ने अलग अलग ख़ासी वीरता के साथ मुकाबला किया। किन्तु उनमें किसी तरह का ऐक्य या नीतिज्ञता बानी न रह गई थी। इसके बाद सौ साल के अन्दर मैसूर तक अधिकांश भारत पर मुसलमानों की हुकूमत कायम हो गई। विदेशी और स्वदेशी जाहिरा देखने में भारतीय जीवन को एक बार गहरा धक्का पहुंचा। किन्तु जिन मुसलमानों ने बाहर से आकर भारत पर हमला किया वे फिर भारत में बस गए और भारत ही के होकर रह गए । भारत पर मुसलमानों की हुकूमत कायम होने से पहले जो लाखों भारतवासी इसलाम धर्म स्वीकार कर चुके थे, उनके सबब और उस श्रादर के सबब जो, जैसा हम दिखा चुके हैं, अधिकांश भारतवासियों के चित्त में इसलाम की ओर पैदा हो चुका था, इन बाहर से आने वाले मुसलमानों को भारत के अन्दर बसने और मिल जुल जाने में काफी सुगमता हुई । एक नसल के अन्दर ही वे पूरी तरह भारतवासी बन गए । उन्हें देशवासियों के हित में अपना हित और उनके सुख में अपना सुख दिखाई देने लगा। भारत को उस अन्धकार मय युग में एक प्रधान राजनैतिक शक्ति की श्रावश्यकता थी। जिन मुसल- मानों ने विदेशी रूप में इस देश पर हमला किया था, उन्होंने स्वदेशी और भारतीय बन कर भारत की इस आवश्यकता को बड़ी सुन्दरता के साथ पूरा किया। हम कभी किसी भी व्यक्ति या कौम के दूसरे व्यक्ति या कौम पर हमला करने को जायज़ करार नहीं देते । किसी भी विदेशी हमला करने वाले के सामने सिर झुका देना या विदेशी सेना से पराजित हो जाना किसी