पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१२७

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मुसलमानों का यहाँ बस जाना

मुसलमानों का यहाँ बस जाना १६ मुमलमान ईरान या अफगानिस्तान से आकर एक बार भारत में बस गए, उनकी हुकूमत किसी तरह विदेशी हुकूमत नही कही जा सकती । तेरवी सदी के अन्त से लेकर सोलवीं सदी के शुरू नक ढाई सौ साल का समय लगातार संग्रामों का समय था। इसके बाद भारत पर केवल मुग़लों का हमला बाकी रह जाता है । जिस बाबर ने तुर्किस्तान से प्राकर भारत पर हमला किया वह विदेशी था । पानीपत के मैदान में सन् १५२६ ईसकी में स्वदेशी और भारतीय इब्राहीम लोधी ने विदेशी बाबर का मुकाबला किया । इब्राहीम लोधी हार गया । वाबर हिन्दोस्तान में बस गया । मुग़ल साम्राज्य भारत में क़ायम हो गया । मुगल साम्राज्य से भारत को क्या लाभ हुना या क्या हानि हुई, यह एक दूसरे स्थान का विषय है । यहाँ पर हमें केवल यह दिखाना है कि जिस तरह इसलाम एक बार भारत में आकर भारत की अनेक सम्प्रदायों में से एक सम्प्रदाय बन गया, उसी तरह मुसलमान हमलेभावर एक बार भारत में बस कर अन्य भारतवासियों के समान भारतवासी बन गए । भारत पर मुसलमानों के शासन के समय की बेशुमार मिसाल इस बात की मिलती हैं जब कि भारत के मुसलमान शासकों ने बाहर मे हमला करने वाले मुसलमानों का वीरता के साथ मुकाबला किया, या स्वयं भारत की सीमा से बाहर निकल कर बाहर के मुसलमान देशों को विजय किया, उन्हें अपने भारतीय साम्राज्य का एक अंग बनाया और कभी कभी भारत के हिन्दू नरेशों को वहाँ का शापक नियुक्त किया । अपने धार्मिक विचारों के सबब से भी कोई मनुष्य किसी देश में विदेशी नहीं कहा जा सकता । धार्मिक आज़ादी हर सभ्य देश का एक आवश्यक