मानव धर्म १२३ merorecautar pare.. . - (८) लम्बाकू और मादक द्रव्यों से बचो। किसी मूर्ति के सामने सिर मत झुकायो। (१) किसी की जान मत लो, किसी को कष्ट मत पहुँचाओ। (१०) एक पुरुष के लिए केवल एक स्त्री और एक स्त्री के लिए कंवल एक पुरुष । (११) साधुओं की सङ्गत ही तीर्थ है । और (१२) किसी तरह के अन्ध विश्वासों, नजूम, शकुन, इत्यादि को न मानो। निस्सन्देह ये हुकुम उस समय के हिन्दू धर्म और इसलाम दोनों के सर्वोच्च सिद्धान्तों को मिलाकर रचे गए थे। दाराशिकोह का गुरु बाबालाल औरंगज़ेब के भाई दाराशिकोह का गुरु बाबालाल भी इसी तरह के विचारों का मनुष्य था। दाराशिकोह और बाबालाल की बातचीत एक फारसी किताब 'नादिर-उन-निकात' में दर्ज है। बाबालाल ने अपने सिद्धान्तों के समर्थन में जगह जगह फारसी कवि हाफिज के हवाले दिए हैं। नारायनी सम्प्रदाय इसी तरह उस समय की और भी अनेक सम्प्रदायों ने हिन्दुओं और मुसलमानों को मिलाने की पूरी कोशिश की । नारायनी सम्प्रदाय में हिन्दू और मुसलमान दोनों एक समान लिए जाते थे। ये लोग पूरब की तरफ मुँह करके दिन में पाँच बार ईश्वर प्रार्थना करते थे। उनके ईश्वर के नार्मो मे एक नाम अल्लाह भी था। वे अपने मुरदों को दफन करते थे, इत्यादि ।
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