पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३२
पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवश गिराने पर वह टूट क्यों जाता ? जो लोग पत्थर के बने हुए देवता की पूजा करते हैं वे अपनी मूर्खता से सब कुछ खो बैठते हैं। जो लोग ये कहते है और जो ये सुनते हैं कि पत्थर का देवता अपने भक्तों से बातचीत करता है, वे दोनों भूख हैं। xxx!" नामदेव के अनेक शिष्यों और अनुयाइयों में पुरुष और स्त्री, हिन और मुसलमान, ब्राह्मण और मराठा, कुनबी, दरज़ी और कुम्हार यहाँ तर कि अन्त्यज, महार और धर्मनिष्ट वेश्याएँ तक शामिल थीं। चोखमेला और बहिगम नामदेव का एक महार शिष्य चोखमेला जिस समय पाढरपुर के मशहर मन्दिर में जाने लगा और ब्राह्मण पुरोहित ने उसे मना किया तो चोख- मेला ने उत्तर दिया- "उच्च जाति में पैदा होने से क्या लाभXxxचाहे मनुष्य नीच जाति का भी हो, किन्तु यदि वह दिल का सच्चा है, ईश्वर से प्रेम करता है, सब प्राणियों को अपने समान समझता है, अपने और दूसरों के बच्चों में कोई भेद भाव नहीं रखता, और सच बोलता है, तो उसकी जाति पवित्र है और ईश्वर उससे प्रसन्न है । जिस मनुष्य के हृदय मे ईश्वर पर विश्वास है और मनुष्य के साथ प्रेम है, उससे जाति कभी न पूछो । ईश्वर अपने बच्चों से प्रेम और भक्ति चाहता है, वह उनकी जाति की परवा नहीं करता।"

  • Khundarkar aashinarism

+ Ranade Rese of the Maratha Porver, p 146 Ibid [p. 154