पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१६५

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१३३
मानव धर्म

मानव धर्म १३३ - Asr - 4 वहिराम भट्ट सत्य की खोज में दो दफे हिन्दू से मुसलमान और मुसलमान से हिन्दू हुआ । अन्त में उसने कहा-"न मै हिन्दू हूँ और न मुसलमान ।" शेख मोहम्मद दक्खिन के अन्दर शेख मोहम्मद एक बहुत बडा भक्त हुआ है । उसके अनुयारी रमज़ान के रोज़े भी रखने हैं और एकादशी का व्रत भी, मक्के की की यात्रा करते हैं और पण्डरपुर के मन्दिर की भी । तुकाराम ____ सन्त तुकाराम दक्खिन का शायद सब से अधिक सर्वमान्य भक्त था । कवीर इत्यादि के समान तुकाराम जात पाँत, मूर्तिपूजा, यज्ञ, हवन और अन्य कर्मकाण्ड का कट्टर विरोधी और एक हरि की भक्ति का प्रचारक था । प्रत्येक प्राणी के रूप में उन्मे हरि ही दिखाई देता था। इसलाम और हिन्दू धर्म को मिलाने का नुकाराम का प्रयत्न उसके एक पद्म से जाहिर है जिसका पाषान्तर यह है- जो 'अल्लाह' चाहता है, ऐ मेरे बाबा ! वही होता है। सब का बनाने वाला सब का बादशाह है । पशु और मित्र, बगीचे और माल, सब जाते रहेंगे। ऐ बावा ! मेरा चित्त मेरे 'साहेब' पर लगा है। वही मेरा बनाने वाला है। मैं मन के घोड़े पर सवार हूं और आत्मा सवारी करती है। ऐ बाबा ! अल्लाह का ज़िक्र करो, सब उसी के रूप है । तुका कहता है, जो मनुष्य इस बात को समझे, वही दरवेश है। __बड़े नामों में सब से पहला नाम 'अल्लाह' है । उसे सदा