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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१८०

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश युद्ध विद्या, सैनिक व्यवस्था और किलेबन्दी के कामों ने भी जो उन्नति मुगलों के समय में की उतनी पहले कभी न की थी । बन्दूकों और तोपों का रिवाज तमाम भारत में अधिकतर मगलों ही के समय से फैला । विशेष कर उत्तर भारत के रहन सहन और वेश भूषा में मुसलमानों का सात प्रभाव दिखाई देता है। हिन्दो, बङ्गला और मराठी भाषाओं में इस समय तक असंख्य फारसी, अरवी और तुरको शब्द भरे हुए हैं। उत्तर भारत में यदि किसी हलवाई की दूकान पर मिठाइयों के नाम गिने जाय तो उनमें बालूशाही, गुलाब जामुन, बरफ़ी, हलवा, कलाकन्द, खुरमा इत्यादि अधिकांश नाम मुसलमानी है और इनमें से अधिकांश मिठाइयाँ मुगल समय की ईजाद हैं । यहाँ तक कि हिन्दुथों के विवाह जैसे संस्कार में भी सेहरा, और जामा जैसी चीज़ों का अभी नक उपयोग किया जाता है। भारत की प्राचीन ग्राम पञ्चायतों और उनके अधिकारों में मुग़लों ने किसी तरह का भी हस्तक्षेप नही किया । जदुनाथ सरकार लिखता है-- _ "उन्होंने बुद्धिमत्ता के साथ ग्राम शासन की पुरानी पद्धति को और लगान वसूल करने के पुराने हिन्दुओं के तरीके को ज्यों का त्यों जारी रखा, यहाँ तक कि लगान के मोहकमें में अधिकतर केवल हिन्दू ही नौकर रक्खे जाते थे, नतीजा यह हुना कि राजधानी के अन्दर राजकुल के बदल जाने से हमारे करोड़ों ग्रामवासियों के जीवन पर किसी तरह का अहितकर प्रभाव न पड़ता था ।"

  • Tbrd, p 139