मुग़लों का समय प्रोफेसर जदुनाथ सरकार का कहना है कि भारतवासियों को दूसरा लाभ जो मुसलमानों से पहुँचा वह इस देश के अन्दर ऐतिहासिक साहित्य का प्रारम्भ था। दूसरे देशों से सम्बन्ध बौद्धमत के बाद से बाहर के देशों के साथ भारत का सम्बन्ध भी कम होता जा रहा था। तिजारत गिरती जा रही थी। मुगलों के शासन काल में भारत का सम्बन्ध बाहर के अन्य देशों के साथ फिर से कायम हुआ। मुग़ल साम्राज्य के करीब करीब आखीर तक अफ़ग़ानिस्तान दिल्ली के सन्नाट के अधीन था, और अफगानिस्तान के ज़रिए बुख़ारा, समरकन्द, बलख, खरासान, वारज़िम और ईरान से हजारों यात्री और व्यापारी भारत आते जाते थे । सम्राट जहाँगीर के दिनों में तिजारती माल से लढे हुए चौदह हज़ार ऊँट हर साल केवल वोलन दरें मे होकर भारत आते जाते थे। इसी तरह पच्छिम में ठट्टा, भडोच, सूरत, चाल, राजापुर, गोत्रा और कारवार, और पूरब में मछलीपट्टन और दूसरे बन्दरगाहों मे हजारों जहाज़ हर साल अरब, ईरान, टरकी, मिश्र, अफरीका, लङ्का, सुमात्रा, जावा, स्याम और चीन आते जाते रहते थे। जदुनाथ सरकार इसे भारत के ऊपर मुग़ल साम्राज्य का तीसरा उपकार बताता है । धार्मिक और सामाजिक एकना चौथा उपकार प्रोफेसर सरकार की राय में भारत की उन धार्मिक और सामाजिक लहरों का और अधिक ज़ोरों के साथ फैलना था, जिनका हम ऊपर विस्तार के साथ ज़िक्र कर चुके हैं। पाँचवाँ शिल्पकला और चित्रकारी की अपूर्व उन्नति और उसका विस्तार ।
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