पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१८६

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पुस्तक प्रवेश

47 ११२ पुस्तक प्रवेश थी जिससे गाँव की जमीन बढ़ गई थी। इसीलिए लगान बढ़ाया गया था ! सन्नाट ने फिर दरियाप्त किया कि जो जमीन बढी है, यह मामूली जमीन के पास को है या माफी की जमीन के पास की । मालूम हुधा कि पास की ज़मीन मानी की ज़मीन है। यह बात सुनते ही शाहजहाँ उस्ले मे भर कर चिला पड़ा- "उस जगह के यतीमों, वेवाओं और गरीबों की बाहोजारी पर वहाँ की जमीन का पानी सूख गया है । यह उनको ख़ुदा की एक देन थी, तुमने उसे राज के लिए छीनने का साहस किया ! यदि खुदर के बन्दों के लिए दया का भात्र मुझे न रोकता तो मैं उस दूसरे शैतान को यानी उस जालिम फौजदार को, जिसने इस नई जमीन से लगान वसूल किया है, झाँसी का हुकुम देता । अब उसे केवल बरखास्त कर देना उसके लिए काफी मजा होगी, ताकि दूसरे लोग भी प्रागाह हो जायें, और इस तरह की बेइन्साफ़ी के बदकार न करें । हुकुम जारी कर दो कि तुरन्त जितना ज्यादा लगान वसूल किया गया है वह सब जिन किसानों से लिया गया है, उन्हें फौरन वापस कर दिया जाय ।" सन् १६६२ में उड़ीसा प्रान्त के दीवान मोहम्मद हाशिम ने कुछ नए 'करोडी' (लगान वसूल करने वाले कर्मचारी) इसलिए नियुक्त किए क्योंकि इन लोगों ने पुराने करोडियों की निस्बन अपने इलाकों से अधिक लगान बमूल करके भेजने का वादा किया था । तुरन्त समाचार मिलते ही मोहम्मद हाशिम को बरखास्त कर दिया गया। India Ofirce t.ibrary, Per star Meriage Vo 370, Entertat facing tomo 63 13