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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९१

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मुगलो का समय

मुग़लों का समय पर नियुक्त किया जाता था । इतिहास लेखक फ्रेडरिक आयस्टस इस बात की गवाही देता है कि भारतीय मुग़ल साम्राज्य के "अधिकांश मुलाजिम और कर्मचारी ईमानदार और योग्य होते थे।" मुकदमों का फ़ैसला करने में देश के प्राचीन रस्मोरिवाज और धर्म- शास्त्रों का पूरा खयाल रखा जाता था । सम्राट अकबर ने अनेक योग्य ब्राह्मणों को न्यायाधीश के अधिकार प्रदान किए और आज्ञा दे दी कि न्यायालयों में मनुस्मृति और अन्य हिन्दू धर्मशास्त्रों की आज्ञाओं का पालन किया जाय । हर सम्राट सप्ताह में कम से कम एक दिन (प्रायः मङ्गल था दुध का दिन) खास खास मुकदमों और अपीलों को सुनने में व्यय करता था। प्रजा के हर छोटे से छोटे मनुष्य को अपनी शिकायत लेकर सन्नाट तक जाने का अधिकार होता था। सम्राट जहाँगीर ने, जो अपने इन्सान के लिए मशहूर था, प्रागरे में अपने किले की दीवार के ऊपर से एक सोने को जञ्जीर लटका रकवी थी जो ज़मीन तक लटकती थी। किसी भी छोटे से छोटे फरियादी को उस ज़जीर को खीचने और अपनी अर्जदाश्त उसमें बाँध देने का अधिकार होता था और तुरन्त उसे सम्राट के सामने लाकर पेश कर दिया जाता था। धार्मिक उदारता धार्मिक उदारता के विषय में अकेले औरङ्गज़ब को छोड़ कर भारतीय मुग़ल सम्राटों का समय वास्तव में प्रादर्श समय था। बाबर, हुमायें.

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the mass of the employees were both scrupulous and canatile "--The Entirey akbar, .1 Corints.ion Torvants in History of Intrande 6trConturs, byFrederikAugustus,Countor Yoer, rasiated Annettes Bey midge, 1890, 293,