पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९५

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मुगलो का समय

valI मुगलों का समय देश मे हज़ारों कैथलिक, हजारों एङ्गलिकन, हज़ारों लूथरेन, हजारों प्युरि हज़ारों प्रेसबिटेरियन, हज़ारों लेवेटर, हज़ारों एनेप्टिस्ट, और हज़ कवेलेण्टर जिन्दा जला दिए गए, तलवार के घाट उतारे गए, या यातन दे देकर मार डाले गए, और ये सब के सब ईसाई थे, उतने ही कट्टर ईल जितने कि उन पर अत्याचार करने वाले उनके दूसरे देशवासी थे। भारत और यूरोप की तुलना उस समय के भारत और यूरोप की तुलना करते हुए अंगरेज़ इतिह लेखक टॉरेन्स लिखता है- __ "दिल्ली के शुरू के मम्राटों के दिनों में, सत्रहवीं सदी के मध्य तक, सब धर्मों के लोगों के साथ पूरी उदारता का व्यवहार किया जाता था। ठीक उसी समय यूरोपनिवासी धर्म के नाम पर अत्याचारों द्वारा अपने महाद्वीप को एक विशाल श्मशान भूमि बनाने की जोरदार कोशिशों में लगे हुए थे, अपने अपने धर्म की रक्षा के लिए लोग यूरोप के विविध देशों से भाग भागकर अमरीका में जा जाकर बस रहे थे । क्या आज उन्हीं लोगों के वंशज, उनकी कबरें बनाने वाले, भारत पर दोष लगाने का साहस कर सकते हैं ? क्या वे बेशर्मी के साथ इस बात का दम भर कर इतिहास को कलङ्कित कर सकते हैं कि उस समय उनकी सभ्यता भारत की सभ्यता से अधिक सच्ची थी ? यदि उन्हीं के लिखे इतिहास पर विश्वास करके उन्हीं की गवाही ली जाय, और जो कट्टर ईसाई उस तमाम समय मे धर्म के नाम पर कौसियाँ खडी