पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९९

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मुगलो का समय

· मुग़लों का समय में भी अधिकतर भारत का बना हुआ माल ही दिखाई देता था । अाज से करीब सवा सौ साल पहले तक यानी उन्नीसवी सदी के शुरू तक भारत के बने हुए जहाज़ उप समय के इङ्गलिस्तान और अन्य यूरोपियन देशों के बने हुए जहाज़ों से कहीं अधिक सुन्दर, कहीं अधिक मजबूत और कहीं अधिक टिकाऊ होते थे 18 ईसा की पन्द्रीं सदी में यूरोपियन यात्री काउण्टी लिखता है कि जिनने बड़े नहाज़ भारत में बनते थे उतने यूरोप में कहीं देखने को न मिलते थे। मुग़ल साम्राज्य के शुरू के दिनों में जो अगरेज़ भारत आए उन्होंने और भी अधिक बड़े बड़े सुन्दर और मजबूत भारतीय जहाजों का हाल अपने यात्रा वृत्तान्तों ने लिखा है। मुगल साम्राज्य के दिनों में चीन और जापान से लेकर अमरीका के दक्खिन तक जितने जहाज़ आते जाते थे, उनमें से अधिकांश भारत के और खास कर गुजरात के बने हुए होते थे। बङ्गाल से सिन्ध तक का सारा व्यापार केवल भारतीय जहाजों द्वारा किया जाता था । मुसाफिरों के आने जाने के लिए जितने बड़े जहाज भारत में बनते थे उतने और कहीं न बनते थे ! पूरब में मेक्सिको (अमरीका ) तक और पच्छिम में इङ्गलिस्तान तक भारत का बना हुआ माल भारतीय जहाजों में लद कर दूसरे देशों को जाता था । हज के लिए जाने वाले भार- लीय मुसलमान भारतीय जहाज़ों ही में भारत से अरब तक आते जाते थे। ___ बारबोसा लिखता है कि सत्रवीं सदी के शुरू में गुजरात के बने हुए रेशम के कपड़े अफरीका और पगू तक जाते थे। वारथेमा लिखता है कि • Prosperous British India. by Wilitan Digby, pp 86, 88 PINiraarthe Death of dibar. pp 67-71.