मुग़लों का समय १६४ हिन्दोस्तानी उनकी मातृभाषा बन गई, किन्तु उनका साहित्य और सरकारी पत्र व्यवहार झारसी में जारी रहा । सन् १७५० के करीब उन्होंने साहित्य के लिए भी हिन्दोस्तानी ही को अपनाना शुरू कर दिया । झुदरती तौर पर इस हिन्दोस्तानी में कारसी और तुरकी के अधिक शब्द आ गए, और शाही दरबार में यह भाषा इस्तेमाल होने और दिन प्रति दिन मंजने लगी। इसी से मुग़ल शासन के दिनों में उर्दू की नींव रखी गई । अन्तिम सम्राट बहादुरशाह उर्दू का सुन्दर कवि था। दूसरी भारतीय भाषाओं ने भी मुगल समय में अपूर्व उन्नति की । जदुनाथ सरकार लिखता है- ___"अकबर ही के अधीन हिन्दी में तुलसीदास और बङ्गला में वैष्णव लेखकों के प्रताप एक जबरदस्त हिन्दू साहित्य देश की भाषाओं में पैदा हुआ । सम्राट अकबर ही ने इस देश में एक सच्चे राष्ट्रीय दरवार को जन्म दिया और अकबर के अधीन भारतीय मस्तिष्क का बहुत बड़ा उत्थान हुआ।" मुग़ल साम्राज्य से पहले भी बङ्गाल और दक्खिन के मुसलमान शासकों के अधीन वहाँ के देशी साहित्य ने बहुत उन्नति की थी। दिनेश- चन्द्र सेन, जिसकी पुस्तक बङ्गला भाषा और बङ्गला साहित्य के इतिहास पर अत्यन्त प्रामाणिक मानी जाती है, लिखता है..- "बङ्गला भाषा को साहित्य के पद तक पहुंचाने में कई प्रभावों ने काम किया है, जिनमें निस्सन्देह एक सब से अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव मुसलमानों का बङ्गाल विजय करना था। यदि
- Mughal addritimestration, P 146