पुस्तक प्रवेश चेष्टा की। अकबर ने एक संयुक्त भारतीय राष्ट्र को अपनी आँखों के सामने साक्षात करने का प्रयत्न किया । वास्तव में उसने एक नए भारत की रचना करना चाहा। अकबर के स्वप्न सर्वथा पूरे न हो सके, किन्तु "उदारता और खोज की निल महान प्रवृत्ति" को उसने जन्म दिया वह अभी तक कायम है और इसमें सन्देह नही कि जिस भारतीय राष्ट्रीयता को इस समय भारत में जन्म देने का प्रयत्न किया जा रहा है उसका सब से पहला प्रवर्तक और प्रचारक सम्राट अकबर ही था। फ्रेडिरक आगस्टस लिखता है- "बहैसियत एक सेनापति के अकबर महान था, बहैसियत राजनीतिज्ञ के वह नए समाज का निर्माणकर्ता था और सच्चे मानवधर्म के एक क्रियात्मक व्याख्याता की हैसियत से आज तक कोई उससे बढकर नहीं हुआ।" उस समय की हिन्दू मुसलिम संकीर्णता सम्राट अकबर के बाद उसके दोनों उत्तराधिकारियों, जहाँगीर और शाहजहाँ, ने एक दूसरे के वाद इसी नीति का अनुसरण किया और इसी राष्ट्रीय प्रगति को बड़ी सुन्दरता के साथ जारी रखा। प्रगति और उसका बल बढ़ता गया, यहाँ तक कि जैसा हम ऊपर लिख चुके हैं, शाहजहाँ का समय भारतीय इतिहास में सबसे अधिक समृद्ध समय और अनेक अर्थों में भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग था । किन्तु एकता, समता, उदारता और
- " Akhar was great as a general, as a statesman creative and down to
the present day he 1s unsurpassed as a practical exponent of genuint humanity."-The Emperor Akbar cuc, by Frederick Augustus p. 296