पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२३२

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पुस्तक प्रवेश

१६ पुस्तक प्रवेश एडमण्ड बर्क ने इङ्गलिसार की पार्लिभेण्ट के सामने वारन हेस्टिग्स के मुकदमें के सिलसिले में कहा था--"एक भी ऐसी सन्धि नहीं है जो अंगरेजों ने भारतवर्ष में किसी के साथ की हो और जिसे उन्होंने बाद में तोडा न हो।" दोनों के चरित्र में अन्तर अंगरेजों और भारतवासियों के सम्बन्ध की अनेक छोटी मोटी घटनाएँ इस तरह की मिलती हैं जिनसे पता चलता है कि दोनों जातियों के चरित्र में इस बात मे कितना जबरदस्न अन्तर था । इस विषय को एक दो मिसालें यहाँ पर वे मौके न होंगी । हैदरअली और अंगरेज़ों की लड़ाइयों में अनेक ही बार ऐसा हुआ कि हैदरअली ने पराजित अगरेज़ सैनिकों और सेना- पतियों को उनसे यह वादा लेकर छोड़ दिया कि हम इसके बाद कम से कम बारह महीने तक अापके निशान कहीं न लड़ेंगे । किन्तु फिर चन्द दिन के बाद ही वे ही अंगरेज़ सैनिक और सेनापनि किसी दूसरी लगह के संग्राम में हैदरअली के खिलाफ लड़ते हुए दिखाई दिए । इसके विपरीत हैदरअली ने एक बार जब कि वह अंगरेज़ी इलाके में विजय पर विजय प्राप्त करता हुश्रा बढ़ा चला जा रहा था, कम्पनी के अंगरेज़ दूत से यह वादा किया कि महास के फाटक पर पहुंचकर मैं आपकी ओर से सुलह की बातचीत सुन लँगा । विनत्री हैदर मदास के फाटक तक पहुंच गया। वह the exclusive right of breaking through engagements It the violation of Existing covenants ever involved pasfacto a loss of territory, the British Government in the East Trould not now possesserood of land between the Brahmaputra and the.Indus."-Sirjohn Kave in the Calcutta Review, vol 1, P219