पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२५

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निज़ाम और मराठों का अंगरेज़ों को मदद देना--टीपू की सेना में विश्वास घातक-श्रीरङ्गपट्टन पर अंगरेज़ों की चढ़ाई-भीडोज़ की हार-श्रीरङ्गपट्टन की सन्धि-टीपू की प्रतिज्ञा-कार्नवालिस और दिल्ली सन्नाट-कार्नवालिस और नवाब अवध-कार्नवालिस और निज़ाम-भारत की ग्राम पञ्चायतें-- उनका नाश-नई अंगरेज़ी अदालतें-वकालत की नई प्रथा-इस्तमरारी वन्दोबस्न-उस समय की देश की शोचनीय अवस्था । पृष्ट ३६६-३१७ बारवाँ अध्याय सर जॉन शोर भाधोजी सोंधिया के नाश की तदबीर-मराठा मण्डल की अव्यवस्था--- माधोजी मीधिया की हत्या--माधोनी की हत्या से अंगरेजों को लाभ- पेशवा माधोराव नारायन की मृत्यु अन्तिम पेशवा बाजीराव-सर जॉन शोर और निज़ाम–सर जॉन शोर और नवाब करनाटक-रुहेलखण्ड- सर जॉन शोर और अवध-अवध की मसनद का नीलाम-भारत के खर्च पर अन्य देशों की विजय । पृष्ठ ३४८-४२४ तेरवाँ अध्याय अंगरेजों की साम्राज्य पिपासा मालिस वेल्सली-यूरोप मे आजादी की लहर-मैज़िनी के विचार- अंगरेज़ों और फ्रान्सीसियों के चरित्र में अन्तर-प्रायरलैण्ड की स्वाधीनता