पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२५८

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेज़ी राज सन् १५०० ई० में पुर्तगालियों ने अपने व्यापार के लिए काली- कट में एक कोठी बनाई । तीन साल बाद उन्होंने सामुरी की इजाजत से अपनी कोठी की किलेबन्दी कर ली और एक फौजी अफसर अल्बुकर्क को उसका किलेदार नियुक्त किया। अल्बुकर्क ने किनारे किनारे उत्तर की ओर बढ़कर सन् १५०६ में गोआ नगर पर कवज़ा कर लिया। भोले भारतवासी उस समय तक इन विदेशियों के वास्तविक चरित्र या इनके इरादों से बिल्कुल अपरिचित थे। होते होते सन् १५१० ईसवी में पुर्तगालियों का कालीकट के राजा के साथ कुछ झगड़ा हो गया, जिसमें पुर्तगालियों ने कालीकट के राजमहल को आग लगा दी और नगर को लूट लिया। केवल बारह साल पहले इन परदेसियों पर अनुग्रह करने का भोले और उदार सामुरी को यह फल मिला। राज-शासन की दृष्टि से भारतवर्ष उस समय अनेक छोटी बड़ी रियासतों में बँटा हुअा था, जो एक दुसरे के उस समय का साथ बहुत कम संवन्ध रखती थीं। कोई एक भारत प्रधान शक्ति इन रियासतों को वश में रखने या देश को एक सूत्र में बाँधने वाली न थी। पुराने हिन्दु साम्राज्य बहुत समय पहले टुकड़े टुकड़े हो चुके थे और दिल्ली का मुगल साम्राज्य अभी तक कायम न हुआ था। मालूम होता है कि इस बात का विचार तक कि भारत 'एक देश है उस समय किसी के दिल में मौजूद न था। इसके सिवा भारतवासी उस समय तोप, बन्दुक आदि आग्नेय अस्त्रों का बनाना जानते हुए भी आमतौर पर