भारत में अगरेजी राज ब्रिस्टल ही के एक सौदागर ने इङ्गलिस्तान के बादशाह पाठवें ऐनरी को भारत के मार्ग की खोज कराने की सलाह दी। पचास साल से कुछ ऊपर तक इङ्गलिस्तान के बड़े बड़े नाविक उत्तर-पच्छिम से होकर भारत पहुँचने के निष्फल प्रयत्न करते रहे। सन् १५७८ में जव कि इङ्गलिस्तान का एक मशहूर नाविक सरफ्रैंसिस ड्रेक भारत से लिसवन जाने वाले एक पुर्तगाली जहाज़ को पकड़ कर लूट रहा था, उस लूट में उसे कुछ नको मिले जिनसे अंगरेजों को पहली बार भारत के उस समय के जल-मार्ग का कुछ पता चला। सन् १६०० ई० में इङ्गलिस्तान की रानी एलिजेबेथ ने सुप्रसिद्ध "ईस्ट इण्डिया कम्पनी" की रचना की। यह ईस्ट इण्डिया ___ कम्पनी उन अंगरेज़ व्यापारियों की एक मंडली कम्पनी थी, जो हिन्दोस्तान के साथ तिजारत करने की इच्छा रखते थे। यह बात याद रखने योग्य है कि जो फ़रमान रानी एलिज़वेथ ने इस मौके पर जारी किया, उसमें इस कम्पनी को इस तरह के साहसी लोगों की मंडली (Society of Adventurers) कहा गया है जो लूट, सट्टे आदि के लिये निकलते हैं और जो अपने धन कमाने के उपायों में सच झूठ, ईमानदारी बेईमानी अथवा न्याय अन्याय का अधिक ख़याल नहीं रखते । कम्पनी के डाइरेक्टरों ने शुरू ही में इस बात का फैसला कर लिया था कि हम "किसी जिम्मेदारी की जगह किसी शरीफ़ आदमी को नियुक्त न करेंगे* !" ___ * Not to employ any gentleman in any place of charge "--Bruce's Annals of the Hon'ble East India Company, rol , p. 128
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