सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३२
भारत में अंगरेज़ी राज

उस समय का भारत में अगरेजी राज मराठों ने बंगाल पर हमले शुरू क्रिये । इन हमलों से अपनी रक्षा करने के लिये अलीबदी खाँ ने दिल्ली से मदद की प्रार्थना की, किन्तु दिल्ली दरवार से उसे किसी तरह की सहायता न मिल सकी। मजबूर होकर नवाब अलीवर्दी खाँ ने दिल्ली को सालाना मालगुजारी भेजना वंद कर दिया, किन्तु इस पर भी वह अपने तई सम्राट का एक संवक और उसकी प्रजा मानता रहा और सम्राट के अधीन केवल एक सूबेदार की हैसियत से शासन करता रहा। इसमें संदेह नहीं कि बंगाल की तमाम रिश्राया अलोवर्दी खाँ और उसके पूर्वजों के शासन में अत्यंत सुखी और खुशहाल थी । अंगरेज़ इतिहास लेखक बंगाल एस० सी० हिल उस समय के किसानों की हालत के विषय में लिखता है :-- ____ "मैं समझता हूँ सामाजिक इतिहास के हर विद्यार्थी को स्वीकार करना होगा कि अठारवीं सदी के मध्य में बंगाल के किसानों की हालत उस समय के फ्रांस या जर्मनी के किसानों की हालत से बढ़कर थी।"* यह उस समय के ग्रामों की हालत थी। अब यदि उस समय के शहरों की हालत पर नजर डाली जाय तो बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद के विषय में स्वयं प्रसिद्ध अंगरेज सेनापति क्लाइव लिखता है :- "मुर्शिदाबाद का शहर उतना ही लम्बा, चौड़ा, श्राबाद और धनवान है जितना कि लंदन का शहर । अंतर इतना है कि लंदन के धनाढ्य से धनाढ्य

  • Bengal in 1736-57, bys, C.Hill, vol 1.p.com