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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज ईसाइयों, मर्द, औरत और बच्चों, यहाँ तक कि उनके ईसाई गलामो तक को उन्होंने अपनी कोठी के आस पास मकानों में जमा कर लिया और बाहर चारों ओर के हिन्दोस्तानी मकानों को आग लगा दी, ताकि सिराजुद्दौला से लड़ने के लिए मैदान साफ़ हो जाय। इतना ही नही, मालूम होता है कि ये लोग उस समय किसी भी हिन्दोस्तानी पर विश्वास न कर सकते थे। सुप्रसिद्ध श्रमीचंद, उसके साले हजारीमल और दीवान राजवल्लभ के बेटे राजा विशनदास, इन तीनों को अंगरेजों ने कैद करके रखना आवश्यक समझा। यह वही अमीचंद था जिसकी सहायता के बिना अंगरेजी व्यापार या अंगरेजी सत्ता दोनों में से किसी के भी पैर बंगाल के अन्दर हरगिज़ न जम सकते थे और राजा किशनदास अंगरेज़ कम्पनी का वह शरणागत था, जिसे उन्होंने सिराजुद्दौला के हवाले करने तक से इनकार कर दिया था। जिस समय अंगरेज़ सिपाही श्रमीचंद को पकड़ने के लिए ___ उसके मकान पर पहुँचे, श्रमीचंद ने फौरन अपने जनानखान पर को उनके हवाले कर दिया। किन्तु हजारीमल हमला और राजा किशनदास से यह अपमान न सहा गया । उन दोनों ने अपने श्रादमियों को अंगरेज सिपाहियों पर गोली चलाने का हुकुम दिया। लड़ाई में हजारीमल वीरता के साथ लड़ा। उसका बाँया हाथ उड़ गया और अंत में तीनों गिरफ्तार कर लिए गए। इसके बाद जब अंगरेज़ अफसरों ने अपने उन्मत्त गोरे सैनिकों को अमीचंद के जनानखाने को ओर बढ़ने का