पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२९९

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सिराजुद्दौला

सिराजुद्दौला अपनी ओर फोड़ लेना । वही वाट्स और उसके अंगरेज़ साथी, जिनकी सिराजुद्दौला ने जाने बख्शी थीं, इस समय सिराजुद्दौला की सेना के अन्दर इस प्रकार की साजिशों के जाल पूर रहे थे। सिराजुद्दौला की सेना में और खासकर उसके तोपखाने में अनेक यूरोपियन और अन्य ईसाई नौकर थे। ईसाई पादरियों ईसाई पादरियों के दस्तखतों से एक दूसरे के के फतवे बाद तीन व्यवस्थापत्र यानो फ़तवे निकाले गए, जिनमें लिखा था कि किसी भी ईसाई धर्मावलम्बी के लिए मुसलमानों का पक्ष लेकर अपने सहधर्मियों के खिलाफ लड़ना ईसाई धर्म के विरुद्ध और महापाप है। ये फतवे गुप्त ढंग से सिराजुद्दौला के ईसाई मुलाजिमों में बाँटे गये। इन्हीं फतवों में सिराजुद्दौला के मुलाजिमों को यह भी लालच दिया गया कि यदि तुम नवाव की सेना से भाग कर अंगरेजों की ओर चले पाओगे, तो तुम्हें फौरन अंगरेजी सेना में नौकर रख लिया जायगा। इस तरह की चालों द्वारा काफी नमकहराम सिराजुद्दौला की सेना में पैदा कर दिए गए। कलकत्ते के अंगरेजों का व्यवहार इस अवसर पर अपने हिन्दी- ___स्तानी मददगारों के साथ अत्यन्त खराव था। अपने हिन्दोस्तानी " सिराजुद्दौला के आने की खबर पाते ही इन लोगों ने कलकत्ते के तमाम हिन्दू और मुसलमानो को. साथ व्यवहार जिनमें अधिकतर कम्पनी के मुलाज़िम, गुमाश्ते, व्यापारी और मजदूर थे अरक्षित छोड़ दिया और उनसे कह दिया कि अंगरेज तुम्हारी रक्षा न करेंगे। किन्तु यूरोपियनों, हिन्दोस्तानी