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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजो राज इस पर जीन लॉ लिखता है :--- "सिराजुद्दौला यूरोपनिवालियों को बहुत ही ज्यादा हकीर और तुच्छ समझता था। वह कहा करता था कि इन्हें ठिकाने रखने के लिये केवल एक जोडी चप्पल की ज़रूरत है। ४ ४ ४ इसलिए वह यह सोच ही न सकता था कि अंगरेज़ सैन्यबल द्वारा फिर से बगाल मे पैर जमाने का विचार कर सकते हैं। यदि वह यह अनुमान भी कर सकता था कि अंगरेज़ कोई नई तरकीब सोच रहे होंगे तो केवल यह अनुमान कर सकता था कि वे विनत्र होकर एक हाथ से मेरे सामने नज़र पेश करेंगे और दूसरे हाथ से फिर अपनी तिजारत शुरू करने के लिए खुशी के साथ मेरा फ़रमान हासिल करेंगे। निस्संदेह इसी खयाल से सिराजुद्दौला ने अंगरेज़ों को शांतिपूर्वक फल्ता में पड़े रहने दिया ।* फल्ता में अंगरेजों ने नवाब के अफसरों से यह कहा कि हमें र मोसम खराब होने की वजह से यहाँ रुकना पड - रहा है और ज्योंही मौसम समुद्र यात्रा के साथ छल काविल हुआ हम मद्रास चले जायेंगे। दूसरी श्रोर उन्होंने "नवाब को धोखा देने के स्पष्ट उद्देश से" अत्यन्त दीन और नन शब्दों में इस मज़मून की अर्जियाँ सिराजुद्दौला के पास भेजनी शुरू कर दीं कि हमें फिर से बंगाल में व्यापार करने की इजाजत दी जाय।

  • Bergal in 1756-57, vol ill_p 176

7 “ To deceive tne Yawab "SC Hil in Bengal in 1756-578 volhi, pp cxi cv.