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भारत में अंगरेज़ी राज

AREARN ५. भारत में अंगरेजी राज अक्तबर के मध्य में ८०० युरोपियन और १३०० हिन्दोस्तानी सिपाही मद्रास से रवाना किए गए । जल सेना बंगाल मैं अंगरेजों " का अधिकार ऐडमिरल बाट्सन को और स्थल सेना का सुप्रसिद्ध करनल क्लाइव को दिया गया । मद्रास की अंगरेज कोमिल के मेम्बरों ने १३ अकबर के एक पत्र में इस सेना के अफसरों को खुले आदेश दिया कि आप लोग बंगाल पहुँच कर नवाब के आदमियों को अपनी ओर फोड़कर किसी दूसरे को नवाबी का हकदार खड़ा करके और अन्य हर तरह के उपायों और षड़यन्त्रों द्वारा नवाबी को पलट देने का प्रयत्न करें !* इस प्रकार बंगाल में गदर करवाने के इरादे से दिसम्बर सन् १७५६ के मध्य में यह संना फल्ता पहुँच गई । यह सैन्यवल भी बहुत दरजे तक केवल एक दिखावे की चीज़ थी। असली चीज साजिशो का वह जाल था जो की बंगाल में पूरी तरह फैल चुका था। कलकत्ते का राजा मानिकचंद भी किसी न किसी लालच में फंस कर अपने स्वामी और देश दोनों के साथ विश्वासघात करने को राजी हो गया । फल्ता पहुँचते ही क्लाइव और वाट्सन दोनों ने नवाब के नाम अलग अलग दो लम्बे पत्र लिखे, जिनमें सिवाय धमकियों, छल और बदतमीज़ी के और कुछ न था। सिराजुद्दौला इन पत्रों का क्या उत्तर दे सकता था ? और अंगरेजों को भी सिराजुद्दौला के जवाव का कहाँ इन्तजार था ?

  • Letter isted 13th October 1756. Bengal in 3750-57, No. 1. p2 239, 240.