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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज देश की ज़बान और रिदातों को समझता हो, तो न केवल उसके ज़रिए ये नई शर्ते ही मंजूर कराई जा सकती हैं, बल्कि और बहुत से इस तरह के प्रकट या गुप्त कामों में भी, जो पत्र व्यवहार द्वारा इतनी अच्छी तरह नहीं हो सकते, वह मनुष्य बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।" ___ मुर्शिदाबाद के दरवार में साजिशों का जाल पूरना अंगरेजों के लिए अब और अधिक आसान हो गया और इन कामों के लिए, कासिम बाजार की कोठो का अंगरेज अफसर वाट्स, जिसकी एक बार सिराजुद्दौला जान बख्श चुका था एलची नियुक्त करके भेजा गया । १६ फरवरी के एक पत्र में वाट्स को कम्पनी की ओर से यह हिदायत की गई कि तुम तारीख के सुलहनामे से बाहर दस और नई शर्ते सिराजुद्दौला के सामने पेश करो। इन नई शतों में इस तरह को शर्ते भी शामिल थीं, मसलन :-- ___ नवाब के महकमें चुंगी का कोई मुलाजिम अंगरेजों के किसी दस्तखती माल पर यदि किसी तरह का महसूल मांग बैठे तो बिना नवाव से शिकायत किए या सरकारी अदालतों तक पहुँचे अंगरेजों को उस्ले स्वयं दंड देने का अधिकार हो । कम्पनी के जिम्मे या किसी भी अंगरेज़ के जिम्मे यदि किसी भारतवासी का कोई कर्ज निकलना हो तो नवाब उसे अपने पास से अदा कर दे। जो अदालत अंगरेज अपनी ओर से कायम करें उन्हें भारत- वासियों को मुजरिम करार देने और उन्हें फांसी देने तक का अधिकार मिल जावे। नवाब से भेंट करने के समय अंगरेजो को रिवाज के अनुसार किसी तरह की नज़र पेश न करनी पड़े।