पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७५
सिराजुद्दौला

सिराजद्दौला सेना भेजने के लिए लिखा और उसी पत्र में यह भी लिख दिया कि जब तक अंगरेजी सेना मेरे पास रहेगी तब तक मैं एक लाख रुपए माहवार उसके खर्च के लिए दूंगा। सम्भव है इस प्रकार सेना माँगने में सिराजुद्दौला का एक उद्देश यह भी रहा हो कि इस बहाने अंगरेज कोई और शरारत करने से रुके रहें । इसी बीच सिराजुद्दौला ने फ्रान्सीसियों को भी एक पत्र लिखा कि श्राप लोग अंगरेजों के साथ सुलह करके मेरे राज में शांति और अमन से रहें। किन्तु अंगरेजों से फौज की मदद मांगना सिराजुद्दौला के लिए एक घातक भूल साबित हुई । वाट्सन ने सिराजुद्दौला के पत्र का अत्यन्त गोलमोल जवाब दिया। उधर इस पत्र ने अंगरेजी सेना को कलकचे से बढ़ने का पूरा मौका दे दिया। सेना कलक से बढ़ी, किन्तु लिराजुद्दौला की मदद के लिए नहीं, वरन् पहले चन्दर- नगर की क्रांसीसी कोठी को विजय करने और फिर सिराजुद्दौला पर हमला करने के गुप्त उद्देश से। इस समय अंगरेजों का सबसे पहला उद्देश बंगाल के अंदर अपने यूरोपियन प्रतिस्पर्धी झांसीसियों की ताकत चन्दरनगर पर को खत्म करना था। क्लाइव और वाट्सन दोनों हमले का इरादा - इरादा कर चुके थे कि सिराजुद्दौला के साथ लड़ने से पहले कोई न कोई बहाना निकाल कर फ्रांसीसियों की चन्दर- नगर वाली कोठी पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया जाय, किन्तु ऐसा करना फरवरी बाली सन्धि का उल्लंघन करना होता। सिराजुद्दौला भी इस विषय में उन्हें आगाह कर चुका था।