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भारत में अंगरेज़ी राज


वाट्स ने १० मार्च को नवाब के मंत्रियों को रिशवत देकर

नवाब की ओर से वाट्सन के नाम एक पत्र भिजवाया जिसके अंत में यह वाक्य था:-- "श्राप समझदार और उदार हैं, यदि आपका शन्नु शुद्ध हृदय से आपकी शरण चाहे तो आप उसकी जान बारश दे, किन्तु आपको उसके इरादों को पवित्रता के विषय में पूरी तसल्ली होनी चाहिये, यदि ऐसा न हो तो जो कुछ आप ठीक समझ करें ।" इस पत्र की मूल फ़ारसी प्रति कहीं नहीं मिलती और अंगरेजी तरजमा जिसका ऊपर हिन्दी तरजुमा दिया गया है वाट्स का किया हुआ है। वाट्स का दूसरा साथी स्कैफ़टन साफ लिखता है कि इस पत्र को लिखाने के लिए अंगरेजो ने नवाब के मंत्रियों को रिशवतें देने में काफी रुपया खर्च किया । इतिहास लेखक जीन लॉ लिखता है कि वाट्स ने मुर्शिदाबाद में रिशवतों और झूठे वादों का बाज़ार इतना गरम कर रखा था कि :- "नवाब की सेना के सब मुख्य मुख्य अफसर मीर जाफ़रअली खाँ, खुदादाद खाँ लट्टी और कई और x x x पुराने दरवार के सब वजीर xxx करीब करीब सब मंत्री, दरबार के मुहरिर, यहाँ तक कि हरमसरा के खोजे तक अंगरेजों को श्रोर थे। xxx इस पत्र के सम्बन्ध में जीन लॉ को विश्वास है कि वाट्स ने

  • Reflections 20

+ Bengal Records, rol m, p 191