सिराजुद्दौला xxx "आप यकीन रखिये कि यदि कोई शहस या गिरोह आपसे बड़ने की कोशिश करेगा या आपसे दुश्मनी का व्यवहार करेगा नो मैं खुदा की कसम खा चुका हूँ कि मैं आपकी मदद करूँगा। झांसोलियों को मैंने कभी एक कौड़ी भी नहीं दी और जो सेना मैंने हुगली भेजी है वह वहाँ के फौजदार नन्दकुमार के पास भेजी गई है । फ्रांसीसी कभी आपसे लड़ाई छेड़ने का साहस न करेंगे और मैं विश्वास करता हूं कि पुराने रिवाज को कायम रखते हुए गंगा प्रांत के अंदर या उन प्रांतों में जिनका मैं सूबेदार हूँ, अाप भी किसी तरह की लड़ाई न झेंगे।" इसके बाद ज्योंही सिराजुद्दौला को मालूम हुआ कि मुझे मदद देने के बहाने अंगरेजी सेना कलकत्ते से अंगरेजी सेना के चलकर वास्तव में चन्दरनगर पर हमला करने अत्याचार जा रही है, उसने फौरन अंगरेजों को लिख भेजा--"मुझे अब आपकी मदद की जरूरत नहीं है।" किन्तु नवाव की इस आज्ञा और अलीनगर की सन्धि दोनों के खिलाफ अंगरेजी सेना नवाव के मुल्क और उसकी रिाया दोनों को रौंदती हुई चन्दरनगर की ओर बढ़ी। मार्ग में स्थान स्थान पर उन्होंने सिराजुद्दौला की भारतीय प्रजा पर खूब जी खोलकर अत्याचार किए। उधर अंगरेज एलची वाट्स मुर्शिदाबाद में बैठा हुआ नित्य नई शर्ते सिराजुद्दौला के सामने पेश कर रहा था। जब अंगरेजी सेना के अत्याचारों की खबर सिराजुद्दौला के कानों तक पहुँची तो
- NEjages, p. 124-125