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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज चाहते थे। २६ अप्रैल तक वाट्स ने मीर जाफर को राजी करके क्लाइव को पत्र लिखा कि-"मीर जाफ़र और उसके साथी नवाद को मसनद से उतारने में अंगरेजों को मदद देने के लिए तैयार हैं" और यह भी लिखा :--- ___ यदि आप इस दूसरी तरकीब को पसन्द करें जो उस तरकीब की निसबत जो मैं इससे पहले लिख चुका हूं ज़्यादा आसान है, तो मीर जाफ़र चाहता है कि आप अपनी तजवीजें लिख भेजें कि श्राप कितना धन और कितनी ज़मीन चाहते हैं और सन्धि की क्या शत होगी।" लाइव ने इस समय फिर दोरुखी चाल चली। एक ओर उसने . सिराजुद्दौला को धोखे में रखने के लिए उसे एक लाइव के दो रुख्ने हा रुने अत्यन्त प्रेम भरा पत्र लिखा और दूसरी ओर मीर जाफ़र के लिए वाट्स की असली बात का जवाब दिया। प्रसिद्ध इतिहास लेखक मैकॉले लिखता है :- "क्लाइव ने सिराजुद्दौला को इतने प्रेमभरे शब्दों में पत्र लिखा कि उन शब्दों के धोखे में प्राकर वह निर्बल नरेश फिर कुछ समय के लिए अपने सई पूरी तरह सुरक्षित समझने लगा। लाइव अपने इस पत्र को 'सान्त्वना देने वाला पन्न' कहता है। जो हरकारा इस पत्र को लेकर गया वहीं एक दूसरा पत्र वाट्स साहब के नाम लेकर गया, जिसमें लिखा था---'मीर जाफर से कह दी कि किसी बात से न डरे। मैं पाँच हज़ार ऐसे सिपाही लेकर जिन्होंने _ * "If you approve of tius scheme, which is more feasible than the other, I wrote abour, he (Mr Jiffir) requests you will write your proposals of what money, what land you want or what treaties rou will engage in -Watts letter to Calcutta dated 26th April, 1757