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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज अनींचन्द के दिल पर इस का जबरदस्त सदमा हुआ। बाद में स्वास्थ्य ठीक करने के लिए क्लाइव ने उसे तीर्थयात्रा की सलाह दी। वह तीर्थयात्रा के लिए गया, किन्तु इसी सदमे से डेढ़ साल के अन्दर अमीचन्द की मृत्यु हो गई। उन दिनों इंगलिस्तान में जालसाजी की सज़ा मौत थी। किन्तु क्लाइव ने पालिमेण्ट की कमेटी के सामने बड़े गर्व के साथ अपनी इस जालसाज़ी का ज़िक्र किया और उसके बदले में क्लाइव को "लॉर्ड" की उपाधि दी गई, इंगलिस्तान में क्लाइव का बुत खड़ा किया गया और उसके सम्मान तथा प्लासी की लड़ाई की यादगार में तमगे ढाले गए। चन्द रोज के अन्दर सिराजुद्दौला राजमहल नामक स्थान पर सिराजुद्दौला की गिरफ्तार कर लिया गया। अपने उस वीर तथा हत्या शाही शत्रु के साथ कम्पनी का व्यवहार अत्यन्त लज्जाजनक रहा । २ जुलाई को वह मुर्शिदाबाद लाया गया। कहा जाता है कि मीर जाफ़र उसे आदर के साथ मुर्शिदाबाद में नजरबन्द रखना चाहता था। किन्तु उसी रात को एक मनुष्य मोहम्मद बेग ने सिराजुद्दौला को क़त्ल कर डाला। अगले दिन सिराजुद्दौला का कटा हुआ शरीर हाथी पर रखकर मुर्शिदावाद की गलियों में घुमाया गया। लातीन" का मुसलमान रचयिता लिखता है :-