मीर जाफ़र क्लाइव समझ गया कि रामरमसिंह से भिड़ना अभी ठीक नहीं । क्लाइव के कहने पर रामरमसिंह के दोनों रिश्तेदार तुरन्त छोड़ दिए गए और उड़ीसा की गद्दी पर रामरमसिंह को बहाल रक्खा गया। तीसरा हिन्दू नरेश, जिसके बल को क्लाइव और मीर जाफ़र ने तोड़ने का इरादा किया, पूनिया का राजा राजा युगलासह यगलसिंह था। सिराजहौला ने अपने रिश्तेदार पर हमला शौकत जंग की मृत्यु पर युगलसिंह को उस प्रान्त का शासक नियुक्त किया था। मीर जाफ़र युगलसिंह को हटाकर उसकी जगह अपने एक आदमी खुद्दामहुसेन को वहाँ का नवाव बनाना चाहता था । युगलसिंह मुकाबले के लिए तैयार होगया । कम्पनी और सूबेदार की सेनाओं ने मिल कर पूनिया पर चढ़ाई की ! युगलसिंह गिरझार कर लिया गया और खुद्दामहुसेन पूनिया की गद्दी पर बैठा दिया गया । इसके बाद भीर जाफर ने अपने हाल के मद्गार राजा दुर्लभराम को मिटाना चाहा। राजा दुर्लभराम राजा दुलभराम मशिदाबाद के दरबार में माल के महकमे का पर हमला हाकिम था। मीर जाफर के ऊपर उसके अनेक अहसान थे । सिराजुद्दौला के खिलाफ साज़िश में उसने अंगरेजों और मीर जाफ़र को मदद दी थी। किन्तु उसको बल और प्रभाव दोनों खूब बढ़े हुए थे। इसीलिए उसके नाश की तदबीरें सोची गई। वह कमर कस कर मुकाबले को तैयार हो गया। अंगरेज़
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