भारत में अगरेज़ी राज उसके असर को देख कर डर गए। तुरन्त स्वयं बाट्स ने बीच में पड़कर मीर जाफर और दुर्लभराम दोनों में सुलह करवा दी। इस तमाम छेड़ छाड़ से क्लाइव का मुख्य उद्देश बंगाल के तमाम पुराने और बड़े बड़े घरानों के दल को तोड़ना, भीर जाफर को समस्त प्रजा में श्रप्रिय बना देना और सूवेदारी भर में अंगरेजो के बल और उनके प्रभाव की धाक जमा देना था। राजा रामनारायन पर एक विशाल सेना लेकर दोबारा चढ़ाई करने की तजवीज़ की गई। अफवाह उड़ी या मनारायन उड़ाई गई कि अलवर्दी खाँ की बूढ़ी वेवा ने अवध ३. के नवाव वज़ीर को पत्र लिखा है कि श्राप श्राकर मीर जाफर के विरुद्ध रामनारायन को मदद दीजे। क्लाइव और मीर जाफर के लिए केवल चन्द महीने पहले की सन्धि और दोनों श्रोर की कसमों को मिट्टी में मिलाकर अब फिर बिहार प्रान्त पर चढ़ाई करना और रामनारायन को जेर करना ज़रूरी हो गया। क्लाइव ने इस बहाने से ५०,००० सेना जमा कर ली। मीर जाफर को डर दिखलाकर उससे धन खींचने का भी क्लाइव को यह अपूर्व अवसर दिखाई दिया। किन्तु मीर जाफ़र की माली हालत इस समय बहुत खराब थी। अव्वल तो मुर्शिदाबाद के खजाने की जो दशा उसने प्यासी से पहले समझ रक्खी थी वह मासी के बाद न निकली। इस खजाने की आशा पर ही उसने अंगरेज़ कम्पनी को अलग और क्लाइव और उसके अनेक साथियों को व्यक्तिगत हैसियत से अलग बड़ी बड़ी रकमें देने के वादे कर रक्खे थे।
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३६८
दिखावट