पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११३
मीर जाफ़र

मीर जाफ़र जिसमें से अधिकांश वह इस समय तक दे भी चुका था। दूसरे इन्हीं रकमों के कारण उसकी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि फौज की कई महीने की तनखाहे उसके जिम्मे चढ़ गई थीं जिससे फौज में बदअमनी बढ़ती जा रही थी। लाचार होकर मीर जाफर ने यह प्रार्थना की कि कम्पनी का जो देना मेरे ज़िम्म बाकी रह गया है, उसमें कुछ सधन कमी कर दी जाये। मालूम होता है कि लाइव __की वसूली ने उसे इसकी आशा भी दिला रक्खी थी। इसी उद्देश से मीर जाफर ने कई बार बड़ी बड़ी रकमें बतौर रिशवत क्लाइव की भेंट की। इन रकमों के सम्बन्ध में सन् १७७२ ई० में पार्लिमेण्ट की एक कमेटी के सामने गवाही देते हुए लाइव ने कहा था कि नवाब की दरियादिली नै सहज ही में मुझे धनवान बना दिया है ।"* किन्तु कमी करना तो दूर रहा, ऐन उस मौके पर जव कि विहार पर चढ़ाई करने की पूरी तैयारी होगई, क्लाइव ने कम्पनी की एक एक पाई चुकवाए विना कदम उठाने से इनकार कर दिया। पिछली रकमों के अलावा और भी नई नई रकमें इस अवसर पर भीर जाफर से तलब की गई । लाइव का बल इस समय तक खुब बढ़ गया था। उसके पास पचास हजार सेना मीर जाफ़र को कुचलने के लिए मौजूद थी। मीर जाफर को तरह तरह के डर

  • 'The Nawab's generosity had made his fortune easy-".-Cl.ve before

the Parliamentary Committee 10 1777