लेखक की कठिनाइयां ,' इतिहास लेखक सर जॉन के, जो इङ्गलिस्तान के इण्डिया ऑफिस के 'राजवैतिक और गुप्त विभाग' का सेक्रेटी रह चुका था, अमान युद्ध का जिक्र करते हुए एक जगह लिखता है-~ “पालिमेण्ट के सरकारी काग़ज़ों के संग्रह में अलेक्जेण्डर वर्स के चरित्र और उसकी ज़िन्दगी दोनों को ग़लत बयान किया गया है । लोग समझने हैं कि ये पार्लिमेण्ट के काग़ज़ इतिहास के लिए सबसे अच्छी सामग्री हैं । किन्तु सच यह है कि आम तौर पर ये सरकारी कागज़ केवल काट छाँट की हुई दस्तावेज़ों और जाली काराज़ों का एक ऐसा यकता संग्रह होते हैं जिसे राज मन्त्रियों की मोहर सच्चा कह कर चलता कर देती है, जिससे मौजूदा मसल के लोग धोखे में आ जाते हैं, और आइन्दा नसला को खतरनाक झूटों का एक सिलसिला वसीयत में मिलता है।" पालिमेण्ट के काग़ज्ञों की इस खास जालसाजी का अधिक हाल पाठकों को इस पुस्तक के अन्दर अफ़ग़ान युद्ध के बयान में पढ़ने को मिलेगा। that character on which hestornars can relv State Papers, presented to the people by both Houses ot Parliament. have been altered to sut the tempo- rary views of political warfare, or abridged out of mistaken regard to the tender feelings of survivors" p Cunningham in the advertisement to the 2nd edition of History of the Sikhs, by CapruaJD Cunnanghan 1833 __* "The character and career of Alexander Burnes have both been mus-represented in those collections of State Papers which are supposed to ruresh the best materialsot history out which are often only one-sided compulations ot garbled documents,~counterfeits, which the ministenal stamp forces into currency. defrauding a present generation, and handing dowa to prosterity a chain of dangerous lies."--History of the Afghan War, by Kaye, vol 11, p 13
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