पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३८

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश जब कि स्वयं ब्रिटिश पार्लिमेण्ट के काराज़ों को यह हालत है तो अंगरे के लिखे हुए मामूली ऐतिहासिक उल्लेखों पर कहाँ तक विश्वास कि जा सकता है। इतिहास लेखक फ्रीमैन स्वीकार करता है कि सरकारी एलानों, पर और राजनैतिक दस्तावेजों का सारा क्षेत्र "झूठ का मनोवान्छिन क्षेत्र है। वह लिखता है- "फिर भी ये सूट शिक्षाप्रद झूठ हैं, उन लोगों के कहे हुए झूठ हैं, जो साई से वाकिफ थे। कई तरह के उपायों से भूठ के अन्दर से भी सच्चाई का पता लगाया जा सकता है, किन्तु किसी झूठ पर विश्वास कर लेना उससे सच्चाई का पता लगाने का तरीका नहीं है। वास्तव में वह मनुष्य बालक की तरह भोला है, जो हर शाही एलान पर या पार्लिमेण्ट के हर एक्ट की भूमिका पर विश्वास करले, और उनसे यह अन्दाज़ा लगावे कि अमुक अमुक बड़े लोगों ने क्या क्या किया और उसके करने मे उनकी क्या गरज थी।" इतिहास से झूठ की कुछ मिसालें इस पुस्तक के लेखक को श्राज १९२८ ई० से चार साल पहले तक

  • " , Here we are in the very chosen region ot lies . y

they are instructive lies , they are hes told by people who know the trutt truth may even, by various processes, begot out ot thethes , but it wul nc begot out of them by the process of believing them He is of childlik sumplicity Indeed who belleyes every royal proclamation or the preamt] of every Act of Parliament, as telling us, not only what certain augus Persons drd, buttle motrves which led them to do it"~-Freemaa