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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३८२

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरेजी राज लड़ाई हुई, किन्तु केलो का बयान है कि मीरन ने इस काम में अंगरेज़ों को मदद न दी, इसीलिए अंगरेज़ पूनिया के नवाब पर विजय प्राप्त न कर सके। दो जुलाई तक केलो और मीरन की सेनाएँ साथ माथ नवाव पूनिया की सेना के पीछे पीछे चलती रहीं। खुद्दामहुसन पर दोबारा अकेले हमला करने की केलो की हिम्मत न थी और मीरन इस में केलो का साथ देने को किसी तरह राजीन था। केलो और मीरन में वैमनस्य बढ़ा । २ जुलाई की श्राधी रात को मीर जाफर का बेटा और मुर्शिदाबाद का युवराज मीरन एका- एक अपने बिछौने पर मरा हुआ पाया गया। कह दिया गया कि मीरन पर बिजली गिर पड़ी। सुप्रसिद्ध अंगरेज विद्वान एडमण्ड बर्क ने पार्लिमेण्ट के सामने बड़ी सुन्दरता के साथ दिखलाया कि यह कैसी विचित्र बिजली थी। जिस खेमे के नीचे मीरन लो रहा था उस पर या उसके कपड़े पर बिजली का जरा सा भी असर नहीं हुश्रा और उसके नीचे सोया हुआ भीरन मर गया । विजली के गिरने की आम तौर पर बड़ी जबरदस्त आवाज़ होती है जो मीलो तक सुनाई देती है। किन्तु जो बिजली मीरन पर गिरी उससे खेमे के चारों ओर सोए हुए लाखों सिपाहियों और दूसरे आदमियों में से किसी एक की भी आँख न खुली। मीरन उस समय सचमुच अंगरेजों के पहलू में एक काँटा था। इसमें कोई सन्देह नहीं हो सकता कि मीरन को मार डाला गया और इस हत्या में करनल केलो का ख़ास हाथ था। इस हत्या के ठीक एक महीने बाद हॉल- वेल ने नये गवरनर वन्सीटार्ट को लिखा :-