पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३८१

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मीर जाफ़र

मीर जाफ़र १२५ करनल केलो स्वयं मोर जाफर और मीरन की सेनाओं के साथ । उन्हीं के खेमों में ठहरा रहा और कप्तान नॉक्स शाह नालम की " को उसने कुछ सेना सहित पटने की ओर भेजा। अनिश्चितता ___ यह सब वृत्तान्त हम ने करनल केलो के बयान के श्राधार पर दिया है। मीरन और मीर जाफर दोनों को इस प्रकार नज़रबन्द रखने का एक सबब यह भी था कि अंगरेजों को डर था कि कहीं मीरन और मीर जाफर अंगरेजों के खिलाफ सम्राट स न मिल जावें, और सम्राट से अपनी बातचीत का अंगरेज़ उन्हें पता तक लगने देना न चाहते थे । सम्राट की सेना के सामने या तो पहले से कोई निश्चित कार्यक्रम न था और या शाह आलम को राजधानी के खाली होने के कारण दिल्ली लौटने की जल्दी थी। जो कुछ रहा हो, दो बार पटने पर चढ़ाई करके कप्तान नॉक्स के पहुँचते ही न जाने सम्राट और अंगरेज़ों में क्या बातचीत हुई कि सम्राट की सेना शहर का मोहासरा छोड़कर दिल्ली की ओर लौट गई। कहा जाता है कि पूनिया का नवाव खुद्दामहुसेन, जिसे मीर . जाफर ने दो साल पहले युगलसिंह की जगह मीरन को हत्या - वहाँ का नवाव नियुक्त किया था, अब अपनी सेना सहित मीर जाफर के खिलाफ सम्राट की सहायता के लिए श्रा रहा था। केलो और मीरन उसके मुकाबले के लिए बढ़े। मीरन पूर्निया के नवाव से लड़ना न चाहता था, किन्तु अंगरेज़ भीरन को पूनिया के नवाब से लड़ाकर पूनिया के नवाव का भी नाश करना चाहते थे। कम्पनी की सेना और पूर्निया की सेना में कुछ