पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४२७

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मीर का़सिम

मीर कालिम १७७२ में पालिमेण्ट को सिलेक्ट कमेटी के सामने गवाही देते हुए कहा था कि राजा रामनारायन पर बकाया का इलज़ाम "वे बुनि- याद" था। निस्सन्देह बन्सीटॉर्ट और उसके साथियों का यह कार्य बिलकुल निस्वार्थ न था.! १७ जुलाई सन् १७६१ को करनल कूट ने गवरनर और कौन्सिल के नाम एक पत्र भेजा, जिसमें साफ़ लिखा है कि मीर कासिम इस काम के लिए साढ़े सात लाख रुपए रिशवत देने को तैयार है। गवरनर वन्सीटॉर्ट के इस काम की निन्दा करते हुए इतिहास लेखक मिल लिखता है :- “मिस्टर वन्सीदॉट के शासन की यह घातक भूल थी, क्योंकि इसकी वजह से ऊँचे दरजे के हिन्दोस्तानियों के दिलों से यह विश्वास बिलकुल उठ गया कि अंगरेज़ कभी उनकी रक्षा करेंगे। इस मामले में जिस घोर अन्याय का मि० वन्सीटॉर्ट ने साथ दिया, उसमें लोगों की यह राय होगई कि वन्सी- टॉर्ट अपनी कमजोरी से या रिशक्त लेकर किसी भी पक्ष का समर्थन करने को तैयार हो सकता है। x x x" मुर्शिदाबाद में निर्दोष रामनारायन को हथकड़ियाँ डालकर रक्खा गया, उससे खूब धन वसूल किया गया और पटने में उसकी जगह दूसरा नायब नियुक्त कर दिया गया । मीर कासिम मामूली चरित्र का मनुष्य न था। मीर जाफ़र - -- -- - - - - -- ------ ___ - --- - __* [his was the fatale rror orI ansuttarts administration hecause Bungunsted antone the natives of rankal rounder ce I'the English ___protection and he dise the thOTML to which, in this instance the harl lent his support, "rested ammunit of a weak ur Horrupt particist HJ 10! il! 224