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भारत में अंगरेज़ी राज

१६ आरत में अंगरेजी राज ७ जुलाई से पहले ही एक और नई सन्धि मीर जाफर के साथ कर ली गई थी, जिसके विषय में इतिहास लेखक मीर जाफर के साथ फिन्सटन लिखता है :- नई सन्धि "अधिकांश अंगरेज़ यही कहते थे कि मीर जाफर को फिर से मसनद पर बैठाना केवल उसके न्याय्य अधिकारों का उसे वापस देना है, किन्तु फिर भी वे उससे नई और अधिक कडी शर्त स्वीकार करा लेन मे न झिझके।" वर्धमान इत्यादि तीनों जिले और जितनी रियायतें मीर कासिम ने उन्हें दे रक्खी थीं वे सब इस नई सन्धि द्वारा कायम रक्खी गई । ऐल्फिन्सटन लिखता है कि श्राइन्दा के लिए यह नियत कर दिया गया कि नवाव छ हज़ार सवार और बारह हजार पैदल से ज़्यादा फ़ौज अपने पास न रक्खे । तमाम हिन्दोस्तानी व्यापारियों से पहले की तरह सब माल पर २५ फी सदी महसूल वसूल किया जावे । अंगरेज़ व्यापारी नमक पर ढाई फी सदी महसूल दिया करें और बाकी हर तरह के माल पर उन्हें बिना महसूल दिए देश भर में व्यापार करने का अधिकार रहे । मीर जाफ़र अंगरेजों को युद्ध के खर्च के लिए. ३० लाख, अंगरेजी स्थल सेना के लिए २५ लाख और जल सेना के लिए १२३ लाख रुपए दे, और अंगरेज़ व्यापा- रियों का जितना नुकसान मीर कासिम के समय में देशी व्यापा- रियों से महसूल न लिए जाने के कारण हुआ है, अब मोर जाफर उसे पूरा करे । सन्धि के समय कहा गया कि यह हरजाने की

  • Rese of British Power

Indse, p 397