पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४६१

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फिर मीर जा़फर

फिर मीर जाफ़र २०१ ७-~-पटना, मुंगेर इत्यादि के किलों में अंगरेजों के आदमी जबरदस्ती धुसे बैठे हैं और मेरी एक नहीं सुनते। -बंगाल के गंजों (मंडियों) और गोलों में कई अंगरेजों के आदमी जबरदस्ती नाज खरीद लेते हैं और जिस तरह चाहते बेचते हैं, यहाँ तक कि मेरे फौजदारों को फौज की आवश्यकताओं के लिए भी नाज नहीं मिलता। ___-पटने के अन्दर करीब चालीस मकानों पर, जो मुसाफिरों के लिए बने हैं, कुछ अंगरेज़ों ने कब्जा कर लिया है, यहाँ तक कि मुझे अपने और अपने कुटुम्बियों के ठहरने के लिए भी जगह न मिल सकी। १०-पूर्निया की लकड़ी की मंडी से मुझे पचास हजार रुपए साल वसूल होते थे। अब अंगरेजों ने उस पर कब्जा कर लिया है और मुझे एक कौड़ी नहीं मिलती। ११--यह कायदा कर दीजिये कि सरकार के नौकरों या आदमियों को न कोई अंगरेज उकसावे और न उन्हें आश्रय दे। १२--कम्पनी की कोठियों से जो सिपाही मुल्क के विविध भागों में भेजे जाते हैं, वे गाँव के गाँव उजाड़ डालते हैं और उनके अत्याचारों के कारण रय्यत गाँव छोड़ कर भाग जाती है ! १३. इस मुल्क के जो गरीव लोग सदा से नमक, छालिया, तम्बाकू इत्यादि का व्यापार करते थे, उन सब की रोजी अब यूरोएनिवासियों ने छीन ली है, जिससे कम्पनी को कोई फायदा नहीं और सरकारी आमदनी को बहुत बड़ा नुकसान है । Long'- Selectsons, PP 336-358