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भारत में अंगरेज़ी राज

२१६ भारत में अगरेजी राज कर दिया। उसकी ज़िन्दगई के आखिरी दिनों को उन्होंने अत्यन्त दुखमय बना दिया। अक्तूबर सन् १७६४ में उससे पाँच लाख रुपए माहवार कम्पनी को देने का वादा करा लिया, जिससे वह अन्त तक बहुत तङ्ग रहा और सदा शिकायत करता रहा । सन्धि से बाहर नित्य नई और बढ़ बढ़ कर माँगे उससे की जाती रहीं। आए दिन की इन ज़बरदस्तियों ने उसके स्वास्थ्य और आयु दोनों पर असर डाला। प्रसिद्ध इतिहास लेखक सर विलियम हण्टर लिखता है:- "मीर जाफ़र जनवरी सन् १७६५ में मरा और कहा जाता है कि जिस बेजा तरीके से कलकत्ते के अंगरेज़ों ने अपने व्यक्तिगत नुकसानों के हरजाने की अदायगी के लिए उससे तकाजे शुरू किए, उनसे उसकी मौत और जल्दी हुई ।"* ___वास्तव में मीर जाफ़र की मृत्यु फरवरी सन् १७६५ के प्रारम्भ में मुर्शिदाबाद के महल में हुई । उसकी आयु उस समय ६५ वर्ष की थी। अन्त समय में मीर जाफ़र की इच्छा के अनुसार उसके अनेक सम्बन्धियों और बेटों के रहते हुए उसके चिर मित्र महाराजा नन्दकुमार ने एक हिन्दू मन्दिर से गंगाजल लाकर मीर जाफर के मुंह में डाला और उसी जल से अपने हाथों से उसने मीर जाफ़र को आखिरी स्नान कराया। ___ * — His death took place in January 1763, ind 1s and to have been hastened br the unseenly importunity irati which the English at Calcutta pressed upon him their prim att claims to restattu tion "-Sir W Hunter. in Statistical Account of Bengal rol. 1x, p. 191